भवानी माँ
भवानी माता पहाड़ों से आई मेरे आंगन।
जगदम्बा माता नौ दिन विराजे मेरे आंगन।
शैलपुत्री देवी पहले दिवस में पधारी,
आरोग्य आशीष वरदान संग पधारी,
चरणों में गऊ घृत अर्पण करूँ मेरे आंगन।
ब्रह्मचारिणी माता दूजे दिवस में आई,
चिरायु आशीष संग में लेकर माँ आई,
शकर के भोग से हुई प्रसन्न मेरे आंगन।
चंद्रघंटा मैया तीजे दिवस में विराजी,
मन इच्छा पूरी करने को है मैया राजी,
पायस का भोग तुझको जिमाऊँ मेरे आंगन।
कूष्मांडा देवी चौथे दिवस में आई,
सबके रोग शोक मिटाने चली आई,
मालपुए अपने हाथ खिलाऊँ मेरे आंगन।
स्कंदमाता पंचम दिवस में पधारी,
सिद्धि देने माँ मेरे भवन में पधारी,
केले के भोग से हुई प्रसन्न मेरे आंगन।
कात्यायनी मैया छठवें दिवस घर आई,
आकर्षण देने सुन्दर बनाने चली आई,
शहद का भोग भेंट करूँ मेरे आंगन।
कालरात्रि देवी सप्तम दिवस में आई,
रोगों से मुक्ति देने को माँ चली आई,
मीठे के भोग से मैया प्रसन्न मेरे आंगन।
महागौरी देवी आठवें दिन घर आई,
असंभव कार्य करने तुरन्त चली आई,
नारियल का भोग हाथ खिलाऊँ मेरे आंगन।
सिद्धिदात्री मैया नवें दिवस घर आई,
मृत्यु का भय डर को मिटाने चली आई,
तिली के भोग से हुई प्रसन्न मेरे आंगन।
अबकी बार शैलजा माँ पालकी में आई।
घर घर कण आंगन मैया ही नजर आई।
गज़ सवार हो करेंगी "श्री" प्रस्थान मेरे आंगन।
स्वरचित- सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)
Mohammed urooj khan
20-Apr-2024 01:24 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Anjali korde
18-Apr-2024 01:54 PM
Fabulous
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HARSHADA GOSAVI
18-Apr-2024 11:39 AM
Fantastic
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